कि हर इंसान के इमोशंस, उसके सपने, और उसका जीने का हक़ ज़रूरी है… चाहे वो किसी भी धर्म, जात या देश का हो। 

आज हम बात करने जा रहे हैं क्लास 10 के इंग्लिश चैप्टर “फ्रॉम द डायरी ऑफ ऐनी फ्रैंक” की – एक ऐसी लड़की की डायरी जिसे दुनिया भर में प्यार और संवेदना से पढ़ा गया। लेकिन ये सिर्फ एक डायरी नहीं थी… ये एक आवाज़ थी, एक गवाही थी उस दौर की जो इंसानियत के लिए एक कठिन इम्तिहान था।  ऐनी फ्रैंक – एक छोटी सी ज्यूइश लड़की, जो जर्मनी में पैदा हुई थी। उसका बचपन एक ऐसे समय में बीत रहा था जब हिटलर का नाज़ी रूल यूरोप में फैल चुका था। यहूदी लोगों के ऊपर अत्याचार बढ़ते जा रहे थे। ऐनी का परिवार जर्मनी छोड़ कर नीदरलैंड्स आ गया, लेकिन कुछ ही सालों में उन्हें वहाँ भी छुपकर रहना पड़ा।

ऐनी ने 13 साल की उम्र में अपनी डायरी लिखना शुरू की। उसने इस डायरी का नाम रखा – किट्टी। उस डायरी में ऐनी ने अपने इमोशंस, फीयर्स, फ्रस्ट्रेशन्स, और अपने सपने लिखे। वो लिखती है जैसे किसी दोस्त से बात कर रही हो।  चैप्टर में ऐनी स्कूल लाइफ और अपनी डेली लाइफ के बारे में बताती है। उसे लगता था कि लोग उसे समझते नहीं। उसके टीचर्स से उसके इंटरेस्टिंग रिश्ते थे। मैथ्स के टीचर को उसकी बातें पसंद नहीं आती थीं। उसके दोस्तों के साथ उसका व्यवहार भी उसके लिखने का एक अहम हिस्सा है।

लेकिन इन सबके बीच, एक टीनएजर की नॉर्मल लाइफ के पीछे छुपी थी एक भयंकर सच्चाई – वो और उसका परिवार एक सीक्रेट एनेक्स में छुप कर रह रहे थे, ताकि नाज़ी उन्हें पकड़ न लें। सोचिए, एक छोटी सी लड़की जो बस जीना चाहती थी, दोस्तों के साथ हँसना चाहती थी, स्कूल जाना चाहती थी – उसे छुपकर जीना पड़ रहा था, एक ऐसे डर के साथ जो हर वक्त साथ था।

ऐनी के शब्दों में सच्चाई थी, मासूमियत थी, और एक उम्मीद भी थी। उसने लिखा था: “पेपर हैज़ मोर पेशेंस दैन पीपल।”

यानी कागज़ इंसानों से ज़्यादा सब्र रखता है। वाह क्या बात है! जब कोई उसकी बात नहीं सुनता था, उसकी डायरी सुनती थी। उसने अपने जज़्बात बिना किसी डर के लिखे – और यही डायरी बन गई एक मिसाल… एक सबूत… एक आवाज़ जो हर उस इंसान के लिए थी जिसे कभी दबाने की कोशिश की गई थी।  दुख की बात है कि ऐनी और उसका परिवार आख़िर में पकड़ लिया गया। ऐनी सिर्फ 15 साल की थी जब उसने अपनी जान गँवाई – एक कॉन्सन्ट्रेशन कैंप में। लेकिन उसकी डायरी बच गई… उसकी माँ, उसकी बहन – सब चले गए, लेकिन उसके पिता ऑटो फ्रैंक बचे रहे। और उन्होंने ही ऐनी की डायरी को दुनिया के सामने लाया।

आज ऐनी फ्रैंक की डायरी दुनिया भर में पढ़ी जाती है। उसने एक टीनएजर की आँखों से दुनिया को दिखाया – बिना किसी बनावट के। इस डायरी ने हमें यह समझाया कि हर इंसान के इमोशंस, उसके सपने, और उसका जीने का हक़ ज़रूरी है… चाहे वो किसी भी धर्म, जात या देश का हो।  तो दोस्तों, ऐनी की कहानी सिर्फ एक इतिहास का हिस्सा नहीं है – यह एक सीख है। कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। कि हर आवाज़ को सुना जाना चाहिए। और कि एक डायरी भी दुनिया बदल सकती है।  आपको ये पॉडकास्ट कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ। अगली बार मिलेंगे एक और कहानी के साथ – तब तक के लिए, ख़्याल रखिए और ऐनी की डायरी की तरह, अपने जज़्बात लिखना न भूलिए। 

एक छोटी सी लड़की थी जो बहुत मुश्किल हालात में भी अपनी मुस्कान और उम्मीद को ज़िंदा रखे रही। चारों ओर डर और अंधेरा था, लेकिन उसने हर दिन को कुछ नया सीखने और अपने मन की बातें लिखने में बिताया। वह चाहती थी कि लोग उसे एक ऐसी इंसान के रूप में याद करें जो दूसरों के लिए रोशनी की किरण बनी। उसके शब्द और सोच आज भी लोगों को हिम्मत देते हैं। उसकी कहानी हमें सिखाती है कि चाहे हालात जैसे भी हों, हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए, अपने सपनों पर विश्वास करना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए। बच्चे भी अगर दिल से चाहें, तो हर मुश्किल को ताकत में बदल सकते हैं।

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